क्योकिं खेल सफलता का आधार है
आज के समय मे मनुष्य ने बहुत तरक्की कर ली हैं। फिर भी हम जिस समाज में रहते है वहा आज भी बच्चों को यही सिखाया जाता है “पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब “। मतलब की सफलता का आधार है शिक्षा! क्या ये वाक्य किसी भी तरह से सही साबित होता है,बिल्कुल नही क्योकिं जिस प्रकार मस्तिष्क का विकास इन्सान के लिये जरुरी है ठीक उसी प्रकार शारीरिक विकास का भी होना उतना ही जरुरी है। जहा मस्तिष्क के विकास के लिये शिक्षा जरूरी है वही शारीरिक विकास या सर्वागीण विकास के लिये खेल भी जरूरी है। अत: ये कहना बिल्कुल भी गलत नही होगा ये दोनो ही एक दुसरे के पूरक है।
खेल से इन्सान का चहुमुखी विकास होता है।
खेल से व्यक्ति के केवल शरीर का विकास नही होता है अपितु इससे मस्तिष्क और मन का भी विकास होता है।
शारीरिक विकास मे खेलो का बडा ही योगदान है,इससे मनुष्य में खेल भावना और समूह मे काम करने की भावना आयेगी।खेल मे हार और जीत की पूरी जिम्मेदारी टीम की होती है इसिलिए किसी भी खेल को जब एक खिलाड़ी खेलता है तो वो सिर्फ अपने लिये नही अपितु अपने समूह के लिये खेलता है क्योकिं टीम की हार या जीत खिलाडियों के प्रदर्शन पर भी निर्भर करती है।खिलाडियों के सफलता का आधार होता है।खेल के माध्यम से ही एक खिलाड़ी केआत्मनिर्भर बनने की भावना उत्त्पन्न होती है और खिलाड़ी के अन्दर अपने साथी खिलाडियों के लिये स्नेह और मित्रता का विकास होता है। अन्दर खेल से मनुष्य के अन्दर अनुशासन,आज्ञा पालन दूसरो के लिये आदर,दया भाव जैसे अनेक गुणों का समावेश होता है।

आज हमारे देश के कई ऐसे युवा खिलाड़ी जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रौशन करने के साथ साथ खेल के बल पर उच्च पदों को सुशोभित कर रहे है इसका जीता जागता उदाहरण है हमारे देश की बेटी ‘हिमा दास ‘ है जिन्होंने खेल को अपने सफलता का आधार बनाया और अपने खेल की बदौलत सिर्फ़ भारत का नाम ही बल्कि साथ ही साथ आज वो असम लोक सेवासंघ आयोग मे पुलिस उपाध्यक्ष पद को भी सुशोभित कर रही है।आज हमारे देश मे शिक्षा के साथ साथ खेलो में भी उज्जवल भविष्य है।
खेलों के विभिन्न प्रकार;वैसे तो खेल कई तरह के होते है लेकिन खेलो को मुख्य रुप से दो भाग मे बाँटा गया है
1.घरों के अन्दर खेला जाने वाला खेल जैसे की लूड़ो, कैरम ,बैडमिंटन
2.घरों के बाहर खेला जाने वाला जैसे की क्रिकेट,फुटबॉल,हॉकी
खेलो को खेलने के बहुत से लाभ है जैसे की
- इससे आँखो की रोशनी बढ़ती है।
- शरीर की हड्डियां मजबूत रहती है।
- रक्त का संचार सुचारु रुप से होता है।
- पाचन क्रिया सही से काम करती है
- इससे ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है।
- आलस दर रहता है
- हमारा दिन बहुत ही आच्छा और खुशनुमा होता है
सफलता का आधार
आज हमारे देश मे खेल से सम्बंधित बहुत सी हस्तियाँ है जिन्होंने खेल को अपने सफलता का आधार बनाया और अपने खेल की बदौलत शोहरत हासिल की और देशवासी भी उनको अपना आदर्श मानते है,अगर बात करु क्रिकेट की तो उसमे एक बहुत ही प्रसिद्द खिलाड़ी का नाम आता है महेंद्र सिंह धोनी का जिन्होंने खेल को अपने सफलता का आधार बनाया ,बात अगर बैडमिंटन की करु तो साईना नेहवाल जिन्होने ने खेल को सफलता का आधार बनाकर भारत को ओलंपिक के एक अलग पहचान दिलायी।आज इन्हीं खिलाड़ियों कारन समाज का वो प्रसिद्द कहावत “पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब ” का अस्तित्त्व बौना सा नजर आता है।

2 thoughts on “जिंदगी मे असफलताओं से लड़ना सिखाता है खेल”