Chaudhary Charan Singh University
सीसीएसयू(Chaudhary Charan Singh University)की प्रोफेसर संगीता शुक्ला को कुलपति बने हुए अभी 1 महीने ही हुए हैं और उन्होंने विश्वविद्यालय को लेकर अपने विजन को लेकर पत्रकारों से बात की है. कुलपति महोदया ने बताया कि उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए 6 समितियों का गठन किया है,
जिसमें एनवायरमेंटल, मोरल एंड एथिक्स इनक्यूबेशन, आईटी रिसर्च एंड इन्नोवेशन तथा एजुकेशन एंड स्किल डेवलपमेंट शामिल है. इसके अलावा चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय को ग्रेड की कैटेगरी में लाने की सारी कोशिशें शुरू हो गई है आने वाले समय में विश्वविद्यालय में कई बदलाव देखे जाएंगे. आने वाले वक्त में नवाचार पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाएगा. इस योजना के तहत छात्रों को इस काबिल बनाया जाएगा कि वे अपना रोजगार खुद ढूंढ सके यहां तक कि इस लायक बन सके कि दूसरों को भी रोजगार दे.
सीसीयू (Chaudhary Charan Singh University)के छात्रों को रोजगार ओरिएंटल बनाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं
प्रोफेसर संगीता शुक्ला (Chaudhary Charan Singh University)की माने तो मेरठ और गाजियाबाद की सभी बड़ी इंडस्ट्री से एकेडमी करार किया जा रहा है. एकेडमी करार के पीछे का कारण है बच्चों को जॉब ओरिएंटल शिक्षा देना. इंडस्ट्रीज में जिस तरह के काम की मांग है उस हिसाब की शिक्षा पद्धति को अगर बहाल कर बच्चों को शिक्षा दिया जाए तो वह जल्द से जल्द अपने लिए रोजगार ढूंढ पाएंगे. इसके अलावा बच्चों को एंटरप्रेन्योरशिप भी सिखाया जा रहा है जिससे बच्चे खुद का स्टार्टअप शुरू कर सके और अपने अलावा दूसरों को भी रोजगार देने लायक बन सके.
प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने आगे बताया कि कॉमन फैसिलिटी सेंटर के लिए दो करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है इसमें विशेषज्ञों की टीम छात्रों से आईडिया लेंगे और यह सेंटर कॉलेज के लिए भी खुला रहेगा. इसके अलावा एनआईआरएफ की रैंकिंग के लिए भी सीसीएसयू विश्वविद्यालय(Chaudhary Charan Singh University) तैयारी कर रहा है. पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए कुलपति ने एक नई पहल शुरू की है जिसके तहत सीसीयू विश्वविद्यालय में मौजूद पेड़ों की बार कटिंग की जाएगी, जिसे स्कैन कर बच्चे पेड़ संबंधित वनस्पति का नाम जान सकेंगे.
(Chaudhary Charan Singh University)मे डिग्री मार्कशीट की झंझट को दूर करेंगी कुलपति संगीता शुक्ला
संगीता शुक्ला का कहना है कि उनकी तरफ से छात्रों के लिए हर एक मुमकिन प्रयास किया जाएगा जिससे छात्रों को आसानी से डिग्रियां प्राप्त हो सके इसके लिए ज्यादा से ज्यादा सर्टिफिकेट को डिजिटल उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है. मुमकिन है कि फिर बच्चे अपना सारा काम डिजिटली ही निकालेंगे और उन्हें डिग्री पाने के लिए दौड़ दौड़ कर कॉलेज नहीं आना होगा और ना ही यहां वहां काउंटर के चक्कर काटने होंगे.
प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने आगे एक सवाल के जवाब में कहा कि वे बच्चों को बिचौलियों से बचाने की कोशिश कर रही हैं इसके लिए वे पीएचडी प्रवेश परीक्षा करा सकते हैं क्युकी स्थानीय स्तर पर छात्रों को मौका नहीं मिल पा रहा है विश्वविद्यालय की ओर से इसके लिए प्रयास किया जा रहा है.